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भारत एवं उसकी संस्कृति की महानता

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यह पुस्तक श्रीअरविंद एवं श्रीमाँ की विविध कृतियों में से उन उद्धरणों का चयन है जो भारत एवं उसकी संस्कृति की महानता तथा राष्ट्र-समुदाय में उसके सच्चे अतीत एवं भावी भूमिका पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। एक ऐसा भविष्य जिसमें अपने सशक्त उदाहरण एवं आध्यात्मिक प्रभाव द्वारा भारत मानवजाति के लिए वह मार्ग खोल देगा जो उसे पृथ्वी पर एक दिव्य जीवन की स्थापना की ओर प्रशस्त करेगा जो कि धरा पर भावी स्वर्ग के साम्राज्य की स्थापना के विषय में सभी परंपराओं एवं मानव संस्कृतियों द्वारा समान रूप से चिरकाल से की जाने वाली उद्घोषणाओं और वचनों की परम चरितार्थता होगी।

Description

‘‘विश्व में केवल एक ही ऐसा राष्ट्र है जो यह जानता है कि केवल एक ही ‘सत्य’ है जिसकी ओर सब कुछ को मोड़ देना चाहिए, और वह है भारत। अन्य राष्ट्र यह भूल चुके हैं, परंतु भारत में यह बोध लोगों में अंतर्निहित है, और एक दिन यह बाहर आ जाएगा। …. मैं देश की स्थितियाँ जानती हूँ। यदि एक भी व्यक्ति अपने-आप को श्रद्धापूर्वक सत्य की सेवा में सौंप सके, तो वह राष्ट्र को और विश्व को बदल सकता है। – श्रीमाँ

भारत वह देश है जहाँ चैत्य विधान शासन कर सकता है और अवश्य करना चाहिए और उसका समय अब आ गया है। इसके अतिरिक्त, यही इस देश के लिए एकमात्र संभव मुक्ति-मार्ग है, जिसकी चेतना दुर्भाग्यवश विदेशी राष्ट्र के प्रभाव एवं आधिपत्य के कारण विकृत हो गई थी पर जो, सब कुछ के बावजूद, एक अनूठी आध्यात्मिक विरासत रखता है।
आशीर्वाद। – श्रीमाँ

Additional information

Binding

Hardbound

Pages

432

ISBN

978-81-903276-9-5

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